परिचय

दलहन आत्मनिर्भरता मिशन: आप सब के मन में यह सवाल आया होगा की यह दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या हैं। दरहसल भारत सरकार ने हाल ही में आए नए बजट में इस योजना की घोषणा की हैं। इस योजना यानी मिशन को शुरू करने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण हैं जैसे,भारत को दालों में आत्मनिर्भर बनाके दालों की आयत की निर्भरता को कम करना, टिकाऊ कृषि उपाय योजनाओं के साथ फसल की पैदावार को बढ़ाते हुए किसानों की आय में वृद्धि करना आदि। इस दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के तहग किसानों और कृषि क्षेत्र को क्या-क्या लाभ होंगे? इस मिशन के उद्देश्य और परियोजना क्या हैं? किसानों को दलहन आत्मनिर्भरता मिशन में कैसे आवेदन करना है? इस की जानकारी हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से देने जा रहे हैं। 

Dalhan Atma Nirbharta Mission Overview

विशेषता

विवरण

योजना का नाम


दलहन आत्मनिर्भरता मिशन

योजना का नाम (English)

Dalhan Atma Nirbharta Mission

योजना की शुरुवात

साल 2025-26

विभाग


कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

उद्देश्य



दालों का उत्पादन बढ़ाना और देश को दालों में आत्मनिर्भर बनाना 

लाभार्थी


देश के सभी निवासी किसान

मुख्य लाभ




किसानों को सही भाव देना, मजबूत बाजारपेठ, फसल के लिए भंडारण की सुविधा आदि

पात्रता



सभी छोटे बड़े किसान, कृषि सहकारी समितियां आदि

आवेदन प्रक्रिया


ऑफलाइन और ऑनलाइन प्रक्रिया 

अधिकारिक वेबसाइट

उपलब्ध नहीं हैं।

आवश्यक दस्तावेज


खेती के कागजात, आधार कार्ड आदि

संपर्क जानकारी

कृषि केंद्र से संपर्क करें।

दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है?

भारत में अधिकतर लोग खेती करते हैं। यहां सभी तरह के फसलों का उत्पादन किया जाता हैं। कुछ फसलों का उत्पाद बड़े पैमाने में होता जो देश में बढ़ रही मांग को पूरा कर सके। परंतु आश्चर्य की बात यह हैं की सबसे ज्यादा मांग की जाने वाली दालों का उत्पाद ही भारत में कम हैं। हमे भरपूर प्रोटीन देने वाले दालों को बाहरी देशों से आयत करना पड़ता हैं और हम पूरी तरह से आयत पर निर्भर हो रहे हैं। आगे चल के दालों के आयत पर निर्भरता बड़ी समस्या बन सकती हैं। इस ही कारणवश दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की शुरआत की गई हैं। इस योजना के लिए एक हजार करोड़ का निधि दिया गया हैं। 


अब यह दलहन आत्मनिर्भरता मिशन हैं क्या जिस के लिए इतना बड़ा बजट पास किया गया? इस मिशन के तहत नई कृषि तकनीकियों का इस्तेमाल कर किसानों की मदत से भारत सरकार अपने देश में ही दालों के उत्पादन को बढ़ाना चाहती हैं। इस मिशन के अंतर्गत साल 2028-29 तक देश को पूरी तरह से दालों में आत्मनिर्भर बनाने का टारगेट रखा गया हैं। तो इस मिशन में ऐसा क्या किया जाएगा जो आने वाले सालों में दालों की आयत को कम करेगा? इस मिशन में सब से पहले देश के सभी राज्यों के छोटे बड़े सभी किसानों को टिकाऊ कृषि का महत्त्व समझाते हुए दालों के उत्पाद के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। दालों के उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का वितरण किया जाएगा, फसल काटने के बाद फसल का नुकसान ना हो इस लिए भंडारण का निर्माण और सुधार किया जाएगा। दालों की खेती के लिए किसानों को कर्ज, सिंचाई सुविधा और अन्य आवश्यक सुविधाएं दी जाएंगी।

दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के मुख्य उद्देश्य

दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का मुख्य उद्देश्य दालों की आयत पर निर्भरता कम करना और देश को दालों में आत्मनिर्भर बनाना हैं। उत्पादन बढ़ाने के साथ ही किसानों सही दाम देना और एक मजबूर बाजार का निर्माण करना जहां दालों का सही दर निश्चित किया जाएगा। जिसकी वजह से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। इस मिशन के तहत इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा की फसल काटने के बाद बिना किसी नुकसान के उतना माला जमा रखा जा सके जिस के लिए भंडारण में सुधार और निर्माण के काम का भी उद्देश्य रखा गया हैं। 


भारत सरकार के इस दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का दूसरा उद्देश्य हैं की जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खेती या टिकाऊ खेती के लिए किसानों को प्रेरित करना। किसानों को रोजगार के अवसर देना और पारंपरिक खेती में नई तकनीकियों के साथ जमीन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रयास करना भी इस मिशन का हिस्सा रहेगा। तुअर जैसी दालों का उत्पादन करने की वजह से खेती की जमीन उपजाऊ रहती हैं। इस मिशन के तहत रखा गया टारगेट पूरा होने पर दालों की आयत के लिए लगने वाला खर्च भी कम होगा और देश में लोगों की दालों की मांग पूरी होगी। देश में दालों का उत्पादन बढ़ाने से लोगों को कम और सटीक दामों में दाल सप्लाई की जाएंगी।