दोस्तों, आज Hindipedia.in के जरिए आप सभी को Interesting Facts About Baidyanath Dham Temple ( देवघर ) के बारे में बताने जा रहे है. Baidyanath Dham Temple से जुड़े रहस्यों की गिनती नहीं है. अलग-अलग लोगो ने Deoghar temple के बारे में अलग-अलग टिप्पणियाँ दे रखी है.
क्या आपने कभी Deoghar temple का दर्शन किया है? यदि नहीं तो, मैं आपको बता दूँ की यह रहस्यमयी तीर्थस्थल झारखण्ड राज्य के देवघर जिले के बीचों-बीच स्थित है. यहाँ पहुँचने के लिए ट्रेन और बसों सहित अन्य सभी यातायात के साधन उपलब्ध है.
तो चलिए हम सब Interesting Facts About Baidyanath Dham Temple के बारे में जानते है:
- यह विश्व के द्वादश ज्योतिर्लिंगों तथा 51 शक्ति पीठों में से एक है.
- माना जाता है की यह ज्योतिर्लिंग रावण के द्वारा स्थापित किया गया है.
- गिद्धौर राजवंश के 10वें राजा पूरणमल द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था.
- इस मंदिर के प्रांगण में कुल 22 मंदिर है.
- इस मंदिर में पाँच प्रवेश द्वार है. जिनके नाम (i) पूरब द्वार (ii) पश्चिम द्वार (iii) सिंह द्वार (iv) V.I.P द्वार (v) भितरखंड.
- वैसे तो यहाँ प्रतिदिन हज़ारो श्रद्धालु दर्शन करने आते है, लेकिन श्रावण माह में यह आंकड़ा 3 लाख को भी पार कर जाता है.
- श्रावण माह शिव भक्तो के लिए सबसे पवित्र महीना माना जाता है.
- यहाँ श्रावण माह से ढ़ाई महीने का मेला लगता है.
- यह मेला अन्तर्राष्ट्रीय तौर पर विख्यात है.
- इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेष्ता यह है की इसके शीर्ष पर लगा पंचशूल अष्ट धातु का बना हुआ है और इसका कलश सोने का है.
- पंडितो का यह मानना है की अगर कोई 6 महीने तक लगातार ज्योतिर्लिंग की पूजा करता है तो उसे पुनर्जन्म का कष्ट नहीं उठाना पड़ता है.
- पंडितों का यह मानना है की पंचशूल मानव जीवन के पांच विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या को नष्ट करने का प्रतिक है.
- श्रावण माह में पूरी दुनिया से करोड़ो लोग कांवड़ यात्रा करके गंगा नदी से जल लेकर 120 किलोमीटर की दुरी पैदल तय करते हुए आते है.
- Baidyanath Dham Temple का महाप्रसाद पेड़ा, चूड़ा, इलायची दाना, कच्चा धागा, सिंदूर को माना जाता है.
- यहाँ शिवरात्रि का उत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन सारे शिव भक्त शिवजी की अराधना करते है तथा व्रत रखते है.
- Baidyanath Dham Temple 72 फीट लम्बा है और इसका आकर कमल फूल के तरह है.
- यहाँ के मुख्य मंदिर में एक ही प्रवेश और निकास द्वार है, क्यूंकि मंदिर के दिवार में छेद करना भी असंभव है.
- पंडितों की माने तो इस मंदिर का निर्माण वास्तुकार भगवान् श्री विश्वकर्मा देव जी ने किया है.
- ऐसी मान्यता है कि बाबा मंदिर में पूजा करने से पहले शिवगंगा में स्नान करना जरुरी होता है.
- मंदिर के प्रांगण में एक कुआँ है जिसकी गहराई का पता आज तक नहीं लग सका है. इस कुएं के जल को गंगा जल की मान्यता दी गई है.
- मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए छोटा सा हॉस्पिटल, शुद्ध पेय जल, प्रशासनिक केंद्र आदि उपलब्ध है.
Baba Baidyanath Dham History in Hindi
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस शिवलिंग के यहाँ स्थापित होने के पीछे एक बड़े भक्त की कहानी है, जिसके वजह से Baidyanath Dham का नाम रावणेश्वर भी है.
इस कथा के अनुसार रावण को भगवान् शिव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है. मान्यता यह है कि रावण भगवान् शिव को ढूंढ़ने के लिए कैलाश पर्वत पे गए. परन्तु भगवान् शिव उन्हें नहीं मिले तब रावण ने कई सालो तक घोर तपस्या की और अपने सर को काटकर शिव जी को अर्पित कर दिया.
रावण के ऐसे भक्तिभाव को देखकर शिवजी अत्यंत प्रसन्न हुए तथा रावण को साक्षात् दर्शन दिया और शिवजी ने रावण को वरदान मांगने को कहा, तभी रावण ने दोनों हाथ जोड़कर शिवजी से कहा की मैं चाहता हु की "महादेव आप मेरे साथ लंका चले और वही विराजमान हो".
[Interesting Facts About Baidyanath Dham Temple]
तो महादेव ने रावण की बात मानते हुए एक शर्त रखा, की उनके शिवलिंग को कैलाश पर्वत से उठाने के बाद पहली बार जहाँ भी रखा जाएगा, वह वहीं स्थापित हो जायेंगे. रावण ने भी ख़ुशी-ख़ुशी यह शर्त मान लिया.
यह देखकर पुरे देवलोक में हलचल मच गई. सभी देव ब्रह्मा जी के पास गए और कहा " यदि महादेव असुर लोक लंका चले गए तो, देव लोक की शक्ति आधी रह जाएगी और असुरों की शक्ति बढ़ जाएगी, अतः इस अनर्थ को होने से रोके ".
अबतक रावण महादेव के शिवलिंग को उठाकर लंका की ओर बढ़ चुका था.
[Baba Baidyanath Dham history in Hindi]
तब ब्रह्मा जी ने विष्णु जी से बात करके इसका हल निकाला. विष्णु जी ने माँ गंगा की मदद ली, और माँ गंगा रावण के पेट में समा गई, फलस्वरूप रावण को बहुत ज़ोर की लघुशंका लग गयी. वैसे तो रावण ढृढ़ संकल्पित था कि लंका से पहले कहीं भी नहीं रुकेगा लेकिन माँ गंगा के प्रभाव के कारण रावण अपनी लघुशंका को रोक नहीं सका.
अंततः रावण ने पहले लघुशंका कर लेने की सोची, तभी उसने एक बालक को देखा जो वहीं गायों को चरा रहा था, रावण ने उस बालक को शिवलिंग पकड़ा कर लघुशंका करने थोड़ी दूर चला गया. माँ गंगा की प्रभाव से रावण की लघुशंका समाप्त ही नहीं हो रही थी,
[Interesting Facts About Baidyanath Dham Temple]
उधर उस बालक की गायें जंगल में भटकने लगीं तो वह बालक शिवलिंग को वहीं ज़मीन पर रख कर जाने लगा तभी महादेव प्रकट हुए और उस बालक से उसका नाम पुछा बालक ने अपना नाम "बैजू" बताया|
तब भगवान् शिव ने कहा "तुमने यहाँ मेरे शिवलिंग की स्थापना की है, इसलिए मेरे इस स्थापित शिवलिंग का नाम भी तुम्हारे ऊपर ही होगा, आज से यह स्थान "बैजनाथ धाम " के नाम से सारे संसार में विख्यात होगा |
माँ गंगा का काम हो चुका था, वो अपना प्रभाव खत्म कर लौट चुकीं थी। इसके बाद रावण को शारीरिक शुद्धि करने के लिए जल नहीं मिल रहा था तो उसने अपने आस पास ही ज़मीन पर एक मुक्का मार के तालाब बना दिया और जल लेकर अपनी शारीरिक शुद्धि किया।
अब रावण वापस शिवलिंग के पास लौटा तो देखता है कि शिवलिंग वहीं ज़मीन पर रखा हुआ है, यह देखते ही वह दौड़ा और शिवलिंग को उठाने का प्रयास करने लगा, महाबली रावण ने एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया लेकिन शिवलिंग टस से मस न हुआ।
[Baba Baidyanath Dham history in Hindi]
बहुत समय तक प्रयास और प्रार्थना करनें के बाद भी जब शिवलिंग हिला तक नहीं तो रावण क्रोधित होकर बोला, "महादेव अगर आप मेरे साथ लंका नहीं जाएंगे तो आप वापस कैलाश भी नहीं जा सकते ", इतना कहकर रावण ने अपने अंगूठे से शिवलिंग को जोर लगाकर दबा दिया, और आधा शिवलिंग ज़मीन में धंस गया। इसके बाद रावण हाथ मलते हुए वापस लंका चला गया, तब जाकर देव लोक में सभी देवताओं को राहत मिली।
आज भी बाबा बैजनाथ धाम मंदिर के शिवलिंग के उपर रावण के अंगूठे का निशान महसूस किया जा सकता है।
रावण के द्वारा की गई लघुशंका आज भी मां गंगा के प्रभाव से देवघर शहर के निकट एक नहर के रूप में बह रही है, इस नहर को लोग "हरला जोरी नहर" के नाम से जानते हैं।
साथ ही, शारीरिक शुद्धि के लिए रावण द्वारा बनाया गया तालाब, जो बैजनाथ धाम मंदिर के बहुत ही निकट है, आज "शिवगंगा" के नाम से प्रचलित है। इस तालाब में नहाने के बाद ही लोग खुद को सही मायने में शुद्ध मानते हैं।
2 टिप्पणियाँ
जानकारी के लिए धन्यवाद! ॐ नमः शिवाय।
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